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Javri Chand Goliya : A Social Worker in Jodhpur | Owner of Mahaveer Ram Rasoda | कौन है महावीर राम रसोड़े के संस्थापक ? Real Life Inspirational Stories

Javri Chand Goliya : A Social Worker in Jodhpur | Owner of Mahaveer Ram Rasoda | कौन है महावीर राम रसोड़े के संस्थापक ? Real Life Inspirational Stories
Saurabh Soni

जो भी line में आ गया हमें उस गरीब और भूखे को रोटी खिलानी है. जात-पात का उससे कोई लेना-देना नहीं है. बस भूखे का पेट भरना है. यही हमारा purpose है.

मेरा नाम जवरी चंद गोलिया है. मेरा मानना है कि, देने वाला श्री भगवान और खाने वाला श्री भगवान. ‘महावीर राम रसोड़े’ के नाम से हमारी समिति बनी हुई है जिसमें हम करीब 14 member हैं. हम सुबह 9 बजे से गरीबों को खाना खिलाते है और 300 से 350 लोग प्रतिदिन यहाँ खाते हैं.

   बचपन में ही हमारे माता-पिता ने यह सिखाया है कि कोई भी गरीब या भूखा मांगने आये तो उसे भागाओ मत. चाहे दो रोटी हो या एक रोटी ही हो उसे मना मत करो. अपने हाथ से जितना दे सको उतना दो. हमें देने वाला वो मालिक है कोई किसी के भाग्य का नही खाता. वो सबके भाग्य का देता है और सब वही करता है. बगैर उसकी इच्छा के आप एक सांस नही ले सकते हो.

माता पिता की प्रेरणा से 6 साल पहले हमने एक समिति बनाने की सोची ताकि गरीबों को खाना खिला सकें. शुरुआत में थोड़ी problems आई, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक होता गया. कुछ परिचितों ने पैसों की मदद की. और फिर हर महीने कई लोग अपनी तरफ से कुछ ना कुछ मदद करते रहते है.

हमारे यहाँ पे सभी कौम के लोग आते होंगे, लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. न हम देने वाले को पूछते है की वो कौनसी जाति का है और ना ही लेने वाले को पूछते हैं. छत्तीसी कौम के लोग यहाँ आते है. जो line में आ गया और भूखा है वो खाना ले जाओ.

प्लास्टिक में हम खाना नही देते, जो अपने साथ बर्तन लाया है उसे उसमें दे देते है और जो नहीं लाया है उसे हमारे बर्तन में खाना देते है. खाना खाके वो वापस बर्तन धो के रख देते है.

रोटी बनाने वाली और एक हलवाई चाहे सर्दी हो या गर्मी सुबह 5 या 5:30 बजे ही आ जाते है और 9 बजे तक सारा खाना बना देते है जिसमें हलवा, दाल, एक सब्जी, चावल और रोटी होती है.

हमारे मित्र आत्माराम जी जो बहुत सेवाभावी है, वो भी सुबह जल्दी आ जाते है और काफी मदद करते हैं.

हम बिना रशीद के किसी से पैसे नहीं लेते और जो खाना book करवाके खुद बांटने आता है उसी से पैसे लेते हैं. जो खाना बच जाता है उसे हम कुष्ठ आश्रम में भेज देते है.

हमारा सभी से यही कहना है कि कोई भी गरीब-भूखा आपसे खाना मांगे, तो उसकी मदद करो. अन्न को ख़राब मत करो उसकी इज्जत करो. कई बार लोग बचा हुआ अन्न फेंक देते है. गाय-कुत्ते तो उसे खाते नही, वो फिर बेकार ही जाता है और ये सबसे ख़राब काम है.

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Saurabh Soni

24jun👶 खावण खंडो (Foodie) 😋Blogger, Video Editor, Animal Lover & Part-Time Motivator 😜

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